शनिवार, 19 सितंबर 2015

आटा माझी सटकली

एक आदमी नदी मे डूब रहा था। वो जोर जोर से चिल्लाया -

"गणेश जी बचाओ"

"गणेश जी बचाओ"

गणेश जी आए ओर नदी किनारे नाचने लगे।

आदमी :"प्रभु आप नाच क्यों रहे हो? मुझे बचाओ..."

गणेश जी मुस्कुराते हुए बोले -

"तू भी तो मेरे विसर्जन के समय बहुत नाच रहा था...!

अाटा माझी सटकली

यह किसी ने व्हाट्स अप पर व्यंग्य भेजा था, जो समझने योग्य है...

आटा माझी सटकली

एक आदमी नदी मे डूब रहा था। वो जोर जोर से चिल्लाया -

"गणेश जी बचाओ"

"गणेश जी बचाओ"

गणेश जी आए ओर नदी किनारे नाच ने लगे।

आदमी :"प्रभु आप नाच क्यों रहे हो? मुझे बचाओ..."

गणेश जी मुस्कुराते हुए बोले -

"तू भी तो मेरे विसर्जन बहुत नाच रहा था...!

अता माझी सटकली

रविवार, 30 अगस्त 2015

कुपोषण

समस्या है कुपोषण की,
चिन्तायें पोषण की,
परन्तु किसके पोषण की;
स्वपोषण जरूरी है;
कुपोषण मजबूरी है|

गुलामी की कारा से,
आजादी से मुक्ति तक,
कौन हुआ पोषित है,
जनता कुपोषित,
नेता हुये पोषित हैं|

सदाचार कुपोषित,
भ्रष्टाचार पोषित है,
सत्ता पर आज भी,
कुशासन सुशोभित है,
दुःशासन जीवित है|

द्रौपदी पीड़ित है,
दुर्योधन सत्ता का,
कर रहा है शोषण,
जनता फिर किसी
कृष्ण को ढूँढती है|

हारे चाहे दुर्योधन,
शकुनि चाहे मिट जाये,
मिटता नहीं है दर्द,
मिलती नहीं दवायें,
बदलती केवल सत्तायें|

माया की सत्ता हो,
मुलायम का शासन हो,
कांग्रेस चली जाये,
भाजपा चली आये,
जनता तो मूरख है,
केवल ठगी जाये|

--------तेज प्रकाश

रविवार, 23 अगस्त 2015

देख तमाशा नंगेपन का Look at Fool's Show

आधुनिकता की होड़ में
क्यूं मर्यादा भूल गये;
प्रदर्शन करना क्यों,
किसलिये जरूरी है,
कपड़े कम पहनने की,
ये कैसी मजबूरी है?

युवा हुआ है पागल,
देख तमाशा नंगेपन का,
मॉं, बेटी और बहन,
भूल कर केवल तन दिखता,
सावन के अंधे को जैसे,
हर ओर हरापन दिखता है|

शिक्षा सब व्यापार हो गई,
शिक्षक हैं व्यापारी,
नेता सारे चोर हो गये,
बहरी सरकारें सारी|

लानत है जनता पर ऐसी,
जो करती इनकी पूजा,
बहनों की इज्जत लुटने पर,
अपनी बहनों को फूंका|

आज तो घर घर खुले हुये हैं,
मुये तवायफखाने,
हर कालेज मन्दिर के बाहर,
खुले हुये मैखाने|

मोबाइल दुकान हो गये,
मौत का सामान हो गये,
नहीं डर किसी का अब तो,
अश्लील वीडियो आम हो गये|

सड़के तो अब साफ हो गईं,
पर मन हो रहे हैं गंदे,
बहन, बेटियों की चिंता भी,
हैं सामाजिक धंधे|

गुरू जी गोरू हो गये,
चेला चंचल राग,
चेली हो गई चंचला,
रहीं गुरू संग भाग|

समाधान, व्यवधान है,
कौन करेगा बात;
कविता होती बंद अब,
बहुत हो गई रात|