समस्या है कुपोषण की,
चिन्तायें पोषण की,
परन्तु किसके पोषण की;
स्वपोषण जरूरी है;
कुपोषण मजबूरी है|
गुलामी की कारा से,
आजादी से मुक्ति तक,
कौन हुआ पोषित है,
जनता कुपोषित,
नेता हुये पोषित हैं|
सदाचार कुपोषित,
भ्रष्टाचार पोषित है,
सत्ता पर आज भी,
कुशासन सुशोभित है,
दुःशासन जीवित है|
द्रौपदी पीड़ित है,
दुर्योधन सत्ता का,
कर रहा है शोषण,
जनता फिर किसी
कृष्ण को ढूँढती है|
हारे चाहे दुर्योधन,
शकुनि चाहे मिट जाये,
मिटता नहीं है दर्द,
मिलती नहीं दवायें,
बदलती केवल सत्तायें|
माया की सत्ता हो,
मुलायम का शासन हो,
कांग्रेस चली जाये,
भाजपा चली आये,
जनता तो मूरख है,
केवल ठगी जाये|
--------तेज प्रकाश
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