गुरुवार, 20 अगस्त 2015

एक था महात्मा


जीवन भर त्याग और तपस्या कर, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक कुरीतियो, विषमताओं को दूर करने का भगीरथ प्रयत्न करने वाले आजादी के महायोद्धा राष्ट्रपिता महात्मा गॉंधी, जिन्हें सुभाष चन्द्र बोस जी ने बापू कहकर पुकारा, बाद में पूरा देश उन्हें बापू कहने लगा|

आजाद भारत की खुली हवा में सॉंस लेने वाले लोग आज सरकार के खिलाफ कुछ भी कह सकते हैं, धरना, प्रदर्शन कर सकने की आजादी, की परम्परा बापू के असहयोग आन्दोलन की उपज है|

महात्मा गॉंधी से पहले किसी ने अहिंसक क्रान्ति की कल्पना भी नहीं की होगी| इसीलिये आज नेल्सन मण्डेला जैसे सैकडों नेताओं के वे प्रेरणास्रोत बने और आइंस्टीन जैसा महान वैज्ञानिक, गॉंधी जी की जीते जी पूजा करता था|

दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल,
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल|

ऐसे महान विश्वविख्यात, सर्वमान्य व्यक्ति की आलोचना, निन्दा या प्रहसन की विषयवस्तु बनाना, सूरज पर थूकने जैसा प्रयास है| मूर्ख हैं वे लोग जो महात्मा गॉंधी को कायर समझते हैं, जो बंटवारे के खूनी दंगों में कोलकाता में जाकर बिना किसी सुरक्षा के अनशन कर सकता हो, जो दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की लडाई, उस युग में लड़ा और जीता हो, वो भी उन अंग्रेजों के विरुद्ध, जिनके शासन में सूरज कभी डूबता नहीं था, ये कायरता है या अद्भुत वीरता|

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